श्री हनुमान चालीसा Hindi Lyrics with meaning & PDF

इस वेबसाइट में हनुमान चालीसा की कहानी [Story] एवं इस ग्रन्थ/भजन के लिरिक्स [Hanuman Chalisa Hindi Lyrics and meaning] को अर्थ के साथ लिखा है, जिसे आप कभी ही पढ़ सकते है। आप हनुमान चालीसा लिरिक्स की PDF [Hanuman Chalisa PDF] भी फ्री में Download कर सकते है। बजरंगबली के इस पाठ को पढ़ने के कुछ नियम होते है जिसे निचे जरूर एक बार पठे।

Shri Hanuman ji - Hanuman Chalisa lyrics & PDF

हनुमान चालीसा का इतिहास [Hanuman Chalisa History]

लेख़क / रचियता संत श्री तुलसी दास जी
पढ़ने का सही समय सुबह एवं शायकल नहाने के बाद
कब लिखा गया 16वीं शताब्दी
बोली अवधी
कुल चौपाई 40 चौपाईयाँ
पढ़ने का कुल समय 10 मिनट लगभग

हनुमान चालीसा लिखित में अर्थ के साथ [Hanuman Chalisa Hindi Lyrics with Meaning]

हनुमान चालीसा दोहा [Shri Hanuman Chalisa Doha]

श्री गुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि।

बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।। 

अर्थ- श्री गुरु महाराज के चरण कमलों की धूलि से अपने मन रूपी दर्पण को पवित्र करके श्री रघुवीर के निर्मल यश का वर्णन करता हूं, जो चारों फल धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को देने वाला है।

बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।

बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।। 

अर्थ– हे पवन कुमार! मैं आपको सुमिरन करता हूं। आप तो जानते ही हैं कि मेरा शरीर और बुद्धि निर्बल है। मुझे शारीरिक बल, सद्‍बुद्धि एवं ज्ञान दीजिए और मेरे दुखों व दोषों का नाश कार दीजिए।

हनुमान चालीसा चौपाई [Hanuman Chalisa Chaupai]:

जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।

जय कपीस तिहुं लोक उजागर।। [1]

अर्थ– श्री हनुमान जी! आपकी जय हो। आपका ज्ञान और गुण अथाह है। हे कपीश्वर! आपकी जय हो! तीनों लोकों, स्वर्ग लोक, भूलोक और पाताल लोक में आपकी कीर्ति है।


रामदूत अतुलित बल धामा।

अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।। [2]

अर्थ– हे पवनसुत अंजनी नंदन! आपके समान दूसरा बलवान नहीं है।


महाबीर बिक्रम बजरंगी।

कुमति निवार सुमति के संगी।। [3]

अर्थ– हे महावीर बजरंग बली!आप विशेष पराक्रम वाले है। आप खराब बुद्धि को दूर करते है, और अच्छी बुद्धि वालों के साथी, सहायक है।


कंचन बरन बिराज सुबेसा।

कानन कुंडल कुंचित केसा।। [4]

अर्थ– आप सुनहले रंग, सुन्दर वस्त्रों, कानों में कुण्डल और घुंघराले बालों से सुशोभित हैं।


हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै।

कांधे मूंज जनेऊ साजै।। [5]

अर्थ– आपके हाथ में बज्र और ध्वजा है और कन्धे पर मूंज के जनेऊ की शोभा है।


संकर सुवन केसरीनंदन।

तेज प्रताप महा जग बन्दन।। [6]

अर्थ– शंकर के अवतार! हे केसरी नंदन आपके पराक्रम और महान यश की संसार भर में वन्दना होती है।


विद्यावान गुनी अति चातुर।

राम काज करिबे को आतुर।। [7]

अर्थ– आप प्रकान्ड विद्या निधान है, गुणवान और अत्यन्त कार्य कुशल होकर श्री राम के काज करने के लिए आतुर रहते है।


प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।

राम लखन सीता मन बसिया।। [8]

अर्थ– आप श्री राम चरित सुनने में आनन्द रस लेते है। श्री राम, सीता और लखन आपके हृदय में बसे रहते है।


सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।

बिकट रूप धरि लंक जरावा।। [9]

अर्थ– आपने अपना बहुत छोटा रूप धारण करके सीता जी को दिखलाया और भयंकर रूप करके लंका को जलाया।


भीम रूप धरि असुर संहारे।

रामचंद्र के काज संवारे।। [10]

अर्थ– आपने विकराल रूप धारण करके राक्षसों को मारा और श्री रामचन्द्र जी के उद्‍देश्यों को सफल कराया।


लाय सजीवन लखन जियाये।

श्रीरघुबीर हरषि उर लाये।। [11]

अर्थ– आपने संजीवनी बूटी लाकर लक्ष्मण जी को जिलाया जिससे श्री रघुवीर ने हर्षित होकर आपको हृदय से लगा लिया।


रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।

तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।। [12]

अर्थ– श्री रामचन्द्र ने आपकी बहुत प्रशंसा की और कहा कि तुम मेरे भरत जैसे प्यारे भाई हो।


सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।

अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं।। [13]

अर्थ– श्री राम ने आपको यह कहकर हृदय से लगा लिया की तुम्हारा यश हजार मुख से सराहनीय है।


सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।

नारद सारद सहित अहीसा।। [14]

अर्थ–  श्री सनक, श्री सनातन, श्री सनन्दन, श्री सनत्कुमार आदि मुनि ब्रह्मा आदि देवता नारद जी, सरस्वती जी, शेषनाग जी सब आपका गुण गान करते है।


जम कुबेर दिगपाल जहां ते।

कबि कोबिद कहि सके कहां ते।। [15]

अर्थ– यमराज, कुबेर आदि सब दिशाओं के रक्षक, कवि विद्वान, पंडित या कोई भी आपके यश का पूर्णतः वर्णन नहीं कर सकते।


तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।

राम मिलाय राज पद दीन्हा।। [16]

अर्थ– आपने सुग्रीव जी को श्रीराम से मिलाकर उपकार किया, जिसके कारण वे राजा बने।


तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना।

लंकेस्वर भए सब जग जाना।। [17]

अर्थ- आपके उपदेश का विभिषण जी ने पालन किया जिससे वे लंका के राजा बने, इसको सब संसार जानता है।


जुग सहस्र जोजन पर भानू।

लील्यो ताहि मधुर फल जानू।। [18]

अर्थ– जो सूर्य इतने योजन दूरी पर है कि उस पर पहुंचने के लिए हजार युग लगे। दो हजार योजन की दूरी पर स्थित सूर्य को आपने एक मीठा फल समझकर निगल लिया।


प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।

जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।। [19]

अर्थ– आपने श्री रामचन्द्र जी की अंगूठी मुंह में रखकर समुद्र को लांघ लिया, इसमें कोई आश्चर्य नहीं है।


दुर्गम काज जगत के जेते।

सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।। [20]

अर्थ– संसार में जितने भी कठिन से कठिन काम हो, वो आपकी कृपा से सहज हो जाते है।


राम दुआरे तुम रखवारे।

होत न आज्ञा बिनु पैसारे।। [21]

अर्थ– श्री रामचन्द्र जी के द्वार के आप रखवाले है, जिसमें आपकी आज्ञा बिना किसी को प्रवेश नहीं मिलता अर्थात् आपकी प्रसन्नता के बिना राम कृपा दुर्लभ है।


सब सुख लहै तुम्हारी सरना।

तुम रक्षक काहू को डर ना।। [22]

अर्थ– जो भी आपकी शरण में आते है, उस सभी को आनन्द प्राप्त होता है, और जब आप रक्षक है, तो फिर किसी का डर नहीं रहता।


आपन तेज सम्हारो आपै।

तीनों लोक हांक तें कांपै।। [23]

अर्थ– आपके सिवाय आपके वेग को कोई नहीं रोक सकता, आपकी गर्जना से तीनों लोक कांप जाते है।


भूत पिसाच निकट नहिं आवै।

महाबीर जब नाम सुनावै।। [24]

अर्थ– जहां महावीर हनुमान जी का नाम सुनाया जाता है, वहां भूत, पिशाच पास भी नहीं फटक सकते।


नासै रोग हरै सब पीरा।

जपत निरंतर हनुमत बीरा।। [25]

अर्थ– वीर हनुमान जी! आपका निरंतर जप करने से सब रोग चले जाते है और सब पीड़ा मिट जाती है।


संकट तें हनुमान छुड़ावै।

मन क्रम बचन ध्यान जो लावै।। [26]

अर्थ- हे हनुमान जी! विचार करने में, कर्म करने में और बोलने में, जिनका ध्यान आपमें रहता है, उनको सब संकटों से आप छुड़ाते है।


सब पर राम तपस्वी राजा।

तिन के काज सकल तुम साजा।। [27]

अर्थ– तपस्वी राजा श्री रामचन्द्र जी सबसे श्रेष्ठ है, उनके सब कार्यों को आपने सहज में कर दिया।


और मनोरथ जो कोई लावै।

सोइ अमित जीवन फल पावै।। [28]

अर्थ– जिस पर आपकी कृपा हो, वह कोई भी अभिलाषा करें तो उसे ऐसा फल मिलता है जिसकी जीवन में कोई सीमा नहीं होती।


चारों जुग परताप तुम्हारा।

है परसिद्ध जगत उजियारा।। [29]

अर्थ– चारो युगों सतयुग, त्रेता, द्वापर तथा कलियुग में आपका यश फैला हुआ है, जगत में आपकी कीर्ति सर्वत्र प्रकाशमान है।


साधु-संत के तुम रखवारे।

असुर निकंदन राम दुलारे।। [30]

अर्थ– हे श्री राम के दुलारे! आप सज्जनों की रक्षा करते है और दुष्टों का नाश करते है।


अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता।

अस बर दीन जानकी माता।। [31]

अर्थ– आपको माता श्री जानकी से ऐसा वरदान मिला हुआ है, जिससे आप किसी को भी आठों सिद्धियां और नौ निधियां दे सकते है।


राम रसायन तुम्हरे पासा।

सदा रहो रघुपति के दासा।। [32]

अर्थ– आप निरंतर श्री रघुनाथ जी की शरण में रहते है, जिससे आपके पास बुढ़ापा और असाध्य रोगों के नाश के लिए राम नाम औषधि है।


तुम्हरे भजन राम को पावै।

जनम-जनम के दुख बिसरावै।। [33]

अर्थ– आपका भजन करने से श्री राम जी प्राप्त होते है और जन्म जन्मांतर के दुख दूर होते है।


अन्तकाल रघुबर पुर जाई।

जहां जन्म हरि-भक्त कहाई।। [34]

अर्थ– अंत समय श्री रघुनाथ जी के धाम को जाते है और यदि फिर भी जन्म लेंगे तो भक्ति करेंगे और श्री राम भक्त कहलाएंगे।


और देवता चित्त न धरई।

हनुमत सेइ सर्ब सुख करई।। [35]

अर्थ– हे हनुमान जी! आपकी सेवा करने से सब प्रकार के सुख मिलते है, फिर अन्य किसी देवता की आवश्यकता नहीं रहती।


संकट कटै मिटै सब पीरा।

जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।। [36]

अर्थ– हे वीर हनुमान जी! जो आपका सुमिरन करता रहता है, उसके सब संकट कट जाते है और सब पीड़ा मिट जाती है।


जै जै जै हनुमान गोसाईं।

कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।। [37]

अर्थ– हे स्वामी हनुमान जी! आपकी जय हो, जय हो, जय हो! आप मुझ पर कृपालु श्री गुरु जी के समान कृपा कीजिए।


जो सत बार पाठ कर कोई।

छूटहि बंदि महा सुख होई।। [38]

अर्थ– जो कोई इस हनुमान चालीसा का सौ बार पाठ करेगा वह सब बंधनों से छूट जाएगा और उसे परमानन्द मिलेगा।


जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।

होय सिद्धि साखी गौरीसा।। [39]

अर्थ– भगवान शंकर ने यह हनुमान चालीसा लिखवाया, इसलिए वे साक्षी है, कि जो इसे पढ़ेगा उसे निश्चय ही सफलता प्राप्त होगी।


तुलसीदास सदा हरि चेरा।

कीजै नाथ हृदय मंह डेरा।। [40]

अर्थ– हे नाथ हनुमान जी! तुलसीदास सदा ही श्री राम का दास है। इसलिए आप उसके हृदय में निवास कीजिए।

हनुमान चालीसा दोहा [Shri Hanuman Chalisa Doha]

पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।

राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप।।

अर्थ– हे संकट मोचन पवन कुमार! आप आनंद मंगलों के स्वरूप हैं। हे देवराज! आप श्री राम, सीता जी और लक्ष्मण सहित मेरे हृदय में निवास कीजिए।

हनुमान चालीसा का परिचय [Introduction to Hanuman Chalisa]

हनुमान चालीसा भगवान हनुमान को समर्पित एक भजन है, जो हिंदू धर्म में सबसे प्रतिष्ठित देवताओं में से एक है। ऐसा माना जाता है कि इसकी रचना कवि तुलसीदास ने 16वीं शताब्दी में की थी, और तब से यह दुनिया भर के हिंदुओं के बीच एक लोकप्रिय भक्ति भजन बन गया है। भजन में 40 छंद हैं, जिनमें से प्रत्येक भगवान हनुमान के गुणों और गुणों की प्रशंसा करता है, और उनका आशीर्वाद और सुरक्षा मांगता है।

हनुमान चालीसा की कहानी [Hanuman Chalisa story]

हनुमान चालीसा एक हिंदू भक्ति भजन है जो भगवान हनुमान को समर्पित है, जो एक श्रद्धेय देवता हैं जो अपनी ताकत, भक्ति और वफादारी के लिए जाने जाते हैं। हनुमान चालीसा हनुमान के गुणों, कारनामों और भगवान विष्णु के सातवें अवतार भगवान राम के प्रति उनकी अटूट भक्ति की कहानी कहती है।

हनुमान की कहानी उनके जन्म से शुरू होती है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, हनुमान का जन्म अंजना, अप्सरा (आकाशीय अप्सरा) और बंदरों के राजा केसरी से हुआ था। उनका जन्म भगवान शिव द्वारा एक वरदान के रूप में दिया गया था, जो अंजना की भक्ति से प्रभावित थे और चाहते थे कि हनुमान भगवान राम को उनके दिव्य मिशन में सहायता करें।

एक बच्चे के रूप में, हनुमान के पास अविश्वसनीय शक्ति, चपलता और ज्ञान था। हालाँकि, उनकी असली क्षमता का एहसास तब हुआ जब वे जंगल में अपने वनवास के दौरान भगवान राम और उनके भाई लक्ष्मण से मिले। हनुमान ने राम को भगवान विष्णु के अवतार के रूप में पहचाना और उनके प्रति अपनी अटूट निष्ठा का वचन दिया।

हनुमान भगवान राम की सेना का एक अभिन्न अंग बन गए और महाकाव्य रामायण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने अपनी पत्नी सीता को बचाने के लिए राम की खोज में सहायता की, जिसे राक्षस राजा रावण ने अपहरण कर लिया था। राम के प्रति हनुमान की भक्ति असीम थी, और उन्होंने कहानी के दौरान कई उल्लेखनीय करतब दिखाए।

हनुमान से जुड़े सबसे प्रसिद्ध प्रसंगों में से एक लंका के द्वीप तक पहुँचने के लिए समुद्र के पार उनकी प्रसिद्ध छलांग है, जहाँ सीता को बंदी बना लिया गया था। अपनी अपार शक्ति के साथ, हनुमान ने भारत के दक्षिणी सिरे से छलांग लगाई और सभी बाधाओं को पार करते हुए लंका में उतरे। उन्होंने सीता की खोज की और उन्हें उनकी रक्षा का आश्वासन देते हुए राम का संदेश दिया।

हनुमान के अन्य उल्लेखनीय कारनामों में सुरसा और सिम्हिका जैसे शक्तिशाली राक्षसों को पराजित करना शामिल है, जिन्होंने उनके मार्ग में बाधा डालने की कोशिश की, साथ ही लक्ष्मण के लिए जीवन रक्षक जड़ी बूटी, संजीवनी प्राप्त करने के लिए एक पूरे पहाड़ (द्रोणगिरी) को उठा लिया।

संत-कवि तुलसीदास द्वारा रचित हनुमान चालीसा, हनुमान के गुणों को खूबसूरती से समाहित करती है और उनका आशीर्वाद लेने के लिए एक भक्तिपूर्ण प्रार्थना के रूप में कार्य करती है। इसमें हिंदी की एक बोली, अवधी में चालीस छंद शामिल हैं, और भक्तों द्वारा हनुमान के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करने और उनकी सुरक्षा और मार्गदर्शन प्राप्त करने के साधन के रूप में व्यापक रूप से इसका पाठ किया जाता है।

हनुमान चालीसा आध्यात्मिक साधकों के लिए एक शक्तिशाली उपकरण के रूप में कार्य करती है, बाधाओं को दूर करने, साहस, ज्ञान और भक्ति प्राप्त करने के लिए हनुमान के आशीर्वाद का आह्वान करती है। भगवान हनुमान की महानता और भगवान राम के प्रति उनकी भक्ति का सम्मान करते हुए दुनिया भर के लाखों लोगों द्वारा इसका पाठ किया जाता है।

हनुमान चालीसा का इतिहास और महत्व [History and Significance of Hanuman Chalisa]

हनुमान चालीसा का हिंदू धर्म में एक समृद्ध इतिहास और महत्व है। किंवदंती के अनुसार, तुलसीदास को भगवान हनुमान के दर्शन होने के बाद भजन लिखने की प्रेरणा मिली। दृष्टि में, भगवान हनुमान ने तुलसीदास को दर्शन दिए और उनके सम्मान में एक भजन की रचना करने के लिए कहा। तुलसीदास ने अनुपालन किया, और परिणाम हनुमान चालीसा था, जो भक्ति और सुरक्षा के एक शक्तिशाली भजन के रूप में हिंदुओं के बीच तेजी से लोकप्रिय हो गया।

हनुमान चालीसा इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह हिंदुओं की भक्ति प्रथाओं में भूमिका निभाती है। ऐसा माना जाता है कि भजन का पाठ करने से विभिन्न लाभ मिलते हैं, जैसे कि नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा, प्रयासों में सफलता और आध्यात्मिक उन्नति। हिंदू अक्सर अपनी दैनिक प्रार्थना दिनचर्या के हिस्से के रूप में और कठिनाई के समय या भगवान हनुमान से मार्गदर्शन मांगते समय हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं।

हनुमान चालीसा का पाठ करने के लाभ [The Benefits of Reciting Hanuman Chalisa]

हनुमान चालीसा का पाठ करने से भक्त को कई लाभ मिलते हैं। हनुमान चालीसा का पाठ करने के कुछ लाभ इस प्रकार हैं:

  • नकारात्मक ऊर्जा और बाधाओं से सुरक्षा।
  • इच्छाओं की पूर्ति और प्रयासों में सफलता।
  • आध्यात्मिक उन्नति और सांसारिक बंधनों से मुक्ति।
  • शक्ति, साहस और संकल्प में वृद्धि होती है।
  • शारीरिक और मानसिक व्याधियों से मुक्ति।

ऐसा माना जाता है कि ये लाभ स्तोत्र की शक्ति से ही आते हैं, साथ ही साथ भगवान हनुमान के आशीर्वाद जो सस्वर पाठ के माध्यम से प्राप्त होते हैं।

हनुमान चालीसा का अर्थ [Meaning of Hanuman Chalisa]

हनुमान चालीसा का अर्थ समृद्ध और जटिल है, जो हिंदू पौराणिक कथाओं के विभिन्न प्रतीकों और विषयों पर आधारित है। यहाँ प्रत्येक श्लोक के अर्थ का संक्षिप्त सार दिया गया है:

  • श्लोक 1-3: भगवान हनुमान का आह्वान और स्तुति।
  • श्लोक 4-6: भगवान हनुमान के रूप और शक्तियों का वर्णन।
  • श्लोक 7-10: भगवान राम के प्रति हनुमान की भक्ति की स्तुति।
  • श्लोक 11-14: भगवान हनुमान के आशीर्वाद और सुरक्षा के लिए अनुरोध।
  • श्लोक 15-18: भगवान हनुमान की शक्ति और साहस की स्तुति।
  • श्लोक 19-22: भगवान हनुमान की बुद्धि और ज्ञान की स्तुति।
  • श्लोक 23-26: भगवान हनुमान की इच्छाओं को पूरा करने और बाधाओं को दूर करने की क्षमता की स्तुति।
  • श्लोक 27-30: आध्यात्मिक उन्नति के लिए भगवान हनुमान के आशीर्वाद के लिए अनुरोध।
  • श्लोक 31-34: भगवान हनुमान की नकारात्मक ऊर्जा और खतरों से रक्षा करने की क्षमता की स्तुति।
  • श्लोक 35-38: शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए भगवान हनुमान के आशीर्वाद का अनुरोध।
  • श्लोक 39-40: निष्कर्ष और हनुमान जी की स्तुति।

हनुमान चालीसा पढ़ने के नियम [How to recite Hanuman Chalisa]

हनुमान चालीसा एक हिंदू पाठ/भजन है जो भगवान श्री हनुमान को समर्पित किया गया है, हिंदू देवता जिन्हे कई नामो से जाना जाता है जैसे बजरंगबली, पवन पुत्र, जो अपनी शक्ति, साहस और भक्ति के सबसे बड़े प्रतीक हैं।

शास्त्रों में कुछ नियम बताये गए हैं, जिनका पालन हनुमान चालीसा पढ़ते समय किया जाता है जिनमे से हमने कुछ महत्वपूर्ण नियम निचे बताये है जिनका हम सबको पालन करना चाहिए :

  • याद किया ना बोले बल्कि पढ़े : ज्यादातर लोग हनुमान चालीसा को याद कर लेते है और जाप कर लेते है, बल्कि हमेशा ध्यान दे की जब भी आप घर पे पूजा या पाठ करे तब हनुमान चालीसा को याद करके नहीं बोला जाता बल्कि पढ़ा जाता है।

  • पढ़ने का समय : वैसे तो हनुमान चालीसा को कभी भी पढ़ सकते है लेकिन सुबह एवं शाम की पूजा के समय इसे जरूर पढ़े। हो सके तो रोजाना पाठ करे लेकिन अगर रोजाना नहीं पढ़ पा रहे है तो मंगलवार और शनिवार को जरूर हनुमान चालीसा का पाठ करे।

  • साफ और शांत जगह : इस बात का बिलकुल ध्यान रखे और एक साफ और शांत जगह चुनें जहां आप बैठकर बिना किसी बाधा के हनुमान चालीसा का पाठ कर सकें।

  • नहाये या हाथ और पैर धोएं : हनुमान चालीसा पढ़ना शुरू करने से पहले, आप जरूर नहाये और अगर शाम को पाठ कर रहे है तो सम्मान और सफाई के लिए अपने हाथ और पैर जरूर अच्छे से धोले।

  • बैठने के लिए साफ कपड़े का इस्तेमाल करें : हनुमान चालीसा का पाठ करते समय बैठने के लिए साफ कपड़े या चटाई का इस्तेमाल जरूर करे, और हो सके को भगवा रंग की धोती पहन क्र बैठे।

  • आरामदायक स्थिति में बैठें : ध्यान दे को आप एक आरामदायक स्थिति में बैठें हो, एवं अपनी पीठ सीधी रखें और अपने हाथ प्रार्थना में जोड़ लें।

  • प्रार्थना के साथ शुरुआत करें : हनुमान चालीसा का पाठ करने से पहले भगवान गणेश, राम एवं सीता माता की पूजा जरूर करें और उनका आशीर्वाद लें।

  • भक्ति भाव से जप करें : हनुमान चालीसा का पाठ करते समय ध्यान दे की आप प्रत्येक श्लोक का भक्ति और निष्ठा के साथ जाप कर रहे है।

  • श्लोक का अर्थ समझे : प्रत्येक पद या श्लोक के अर्थ पर ध्यान केंद्रित करें और उसके महत्व को अच्छे से समजे, सिर्फ पढ़ने का कोई मतलब नहीं होता है, भले ही आप 10 मिनट में पूरा ना पढ़ पाये।

  • पूरा पाठ करे : हनुमान चालीसा को पूरा करे बिना न उठे, पूरा मन लगाकर पाठ करे और भगवान हनुमान को उनके आशीर्वाद के लिए अपना आभार व्यक्त करें।

  • प्रार्थना के साथ समाप्त करें : हमेशा प्रार्थना के साथ हनुमान चालीसा के पाठ को समाप्त करें एवं जीवन में शक्ति, साहस और भक्ति के लिए भगवान हनुमान का आशीर्वाद मांगें।

ये तो कुछ महत्वपूर्ण नियम हैं जिनका पालन हनुमान चालीसा पढ़ते समय हम सबको करना चाहिए। यह ध्यान रखना जरूरी है कि हनुमान चालीसा से अधिकतम लाभ प्राप्त करने के लिए इसे शुद्ध हृदय, भक्ति और ईमानदारी के साथ पढ़ना होता है।

हनुमान चालीसा डाउनलोड [HANUMAN CHALISA PDF DOWNLOAD]

श्री हनुमान चालीसा के लिरिक्स की PDF फ्री में डाउनलोड करे :

हनुमान चालीसा की जानकारी [Hanuman Chalisa FAQ]

  1. हनुमान चालीसा में कितने दोहे होते हैं?

    श्री हनुमान चालीसा में कुल 3 दोहे और 40 चौपाइयाँ लिखी गई हैं।

  2. हनुमान चालीसा में 3 दोहे कौन कौन से हैं?

    1. श्री गुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि।
    बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।। 

    2. बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।
    बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।। 

    3. पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
    राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप।।

  3. हनुमान चालीसा पढ़ने में कितना समय लगता है?

    लगभग 10 मिनट, हालाँकि कोई समय की पाबंदी नहीं हैं।

  4. हनुमान चालीसा का पाठ कितने बजे करना चाहिए?

    वैसे तो हनुमान चालीसा का पाठ कभी भी कर सकते हो लेकिन सुबह 5 बजे एंव् शाम 7 बजे को स्नान के बाद शुद्ध माना जाता है।

  5. हनुमान चालीसा किसने लिखी थी?

    संत श्री तुलसी दास जी ने 16 वी शताब्दी में अवधी बोली में लिखी थी।

  6. हनुमान चालीसा दिन में कितनी बार पढ़ना चाहिए?

    शास्त्रों के अनुसार 100 बार हनुमान चालीसा का पाठ करने से सब कष्ट दूर हो जाते है। लेकिन आप जितना चाहे इसका पाठ कर सकते है। जैसे 1, 10, 21,……

  7. हनुमान चालीसा रोज पढ़ने से क्या होता है?

    मन को शांति मिलती है एवं दिन अच्छा गुजरता है जिसमे कोई दुर्घटना से बच सकते है।